Tuesday, August 5, 2014

सिर्फ पानी बह गया..........प्रदीप दीक्षित



    
कल तक जहाँ था आज भी वहीँ रह गया।
दर्द फिर जख्मोँ की निशानी रह गया।



एक उम्मीद मेँ उछाल दिया सिक्का तकदीर का
जो हर परत से बुझी सी कहानी कह गया।



मेरे हिस्से की खुशियोँ, सुन लो एक इल्तजा मेरी।
हो जाओ उसकी, जो ताउम्र गमोँ की रवानी सह गया।



शायर बहुत बड़े हो, लिखो दर्द के अफसाने,
सितम सहकर जिसकी आखोँ से सिर्फ पानी बह गया।



-प्रदीप दीक्षित

फेसबुक से

9 comments:

  1. शुभ प्रभात छोटी बहना
    एक उम्मीद मेँ उछाल दिया सिक्का तकदीर का
    जो हर परत से बुझी सी कहानी कह गया।
    उम्दा अभिव्यक्ति
    शुभ दिवस

    ReplyDelete
  2. एक उम्मीद मेँ उछाल दिया सिक्का तकदीर का
    जो हर परत से बुझी सी कहानी कह गया।
    क्या बात है ! बहुत खूब

    ReplyDelete
  3. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।

    ReplyDelete
  4. उत्कृष्ट प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  6. सिक्का उछाल कर तकदीर को देखने वालों को ये ही मलाल होता है , सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete