Saturday, August 2, 2014

खुशी के चार रंग............यशोदा









 















खुशी के
कई रंग होते हैं...
कोई...
दूसरों की
मदद करके खुश होता है
तो कोई..
अपनों को गले लगाकर
खुशी का
कोई पैमाना नहीं
और जिन्दगी को
खूबसूरत बनाने का
इससे अच्छा कोई
विकल्प भी नहीं
...............
वर्तमान की
खुशियों का
आनन्द उठाइये
ताकि...
आने वाली
खुशियों को
आघात न पहुंचे
...........
कभी-कभी
आपकी खुशी
आपके मुस्कुराहट
का राज होती है
लेकिन...
कभी-कभी
आपकी मुस्कुराहट भी
आपकी खुशी
का राज हो सकती है
.........
दुनिया के
दुःखों में भी
खुशी से भाग लें,
हम दुनिया को
दुःखों से
मुक्त...
तो नहीं कर सकते
लेकिन...
खुशी से जीने का
निर्णय..
तो कर ही सकते हैं
........
मन की उपज
-यशोदा

8 comments:

  1. Mun ke bhavo ko shabdo ki sunder upaj., kavye ka anupam alankar. Jeevan ki khushi tab hi pooran jub dusre aap ki wajeh se muskraye. Shresth jeene ki kla--har gum evm har sukh me sambhav bane, kiu dono hi asthir hain .Aap ki sub kamnaye poori ho !

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...

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  4. मै कविताओं की समझ नहीं रखता ! क्योकि मुझे भारी भरकम हिंदी की ज्यादा समझ नहीं है ,
    किन्तु आपकी कविता में सादगी है एवं आसान शब्दों का प्रयोग भी ,इस कारण मुझे आपकी कविता समझने में कोई दिक्कत नहीं हुयी और दिलचस्पी बनी रही !
    बहुत सुन्दर मनोभाव एवं शब्दों का संयोजन ,
    इस कविता से रूबरू कराने के लिए धन्यवाद

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  6. वर्तमान की
    खुशियों का
    आनन्द उठाइये
    ताकि...
    आने वाली
    खुशियों को
    आघात न पहुंचे
    प्रेरणादायक शब्द

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