Wednesday, April 29, 2020

जीना भी इक मुश्किल फन है ..डॉ. राही मासूम रजा

जीना भी इक मुश्किल फन है 
सबके बस की बात नहीं 
कुछ तूफान ज़मीं से हारे, 
कुछ क़तरे तूफ़ान हुए 

अपना हाल न देखे कैसे, सहरा भी आईना है 
नाहक़ हमने घर को छोड़ा, नाहक़ हम हैरान हुए 

दिल की वीरानी से ज्यादा मुझको 
है इस बात का ग़म 
तुमने वो घर कैसे लुटा 
जिस घर में मेहमान हुए 

लोरी गाकर जिनको सुलाती थी दिवाने की वहशत 
वो घर तनहा जाग रहे है, वो कुचे वीरान हुए 

कितना बेबस कर देती है 
शोहरत की जंजीरे भी 
अब जो चाहे बात बना ले 
हम इतने आसान हुए 
- डॉ. राही मासूम रजा

5 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 30.4.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3687 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।

    धन्यवाद

    दिलबागसिंह विर्क

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  2. दिल की वीरानी से ज्यादा मुझको
    है इस बात का ग़म
    तुमने वो घर कैसे लुटा
    जिस घर में मेहमान हुए - साधुवाद राही साहब से रूबरू कराने के लिए ...

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