Friday, April 10, 2020

छेड़ो धुन प्यार की ...प्रीती श्रीवास्तव

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जाम हाथों से अपने पिलाओ कभी।
फूल गजरे में हंसकर सजाओ कभी।

आके महफिल में कोई गजल बाबहर।
खूबसूरत सी हमको सुनाओ कभी।।

मोह ले मन मेरा मुग्ध होके कहूं।
वाह यारों गजल फिर से गाओ कभी।

सुर बिना ताल बिना गजल गायकी।
कर दे मदहोश ऐसी सुनाओ कभी।।

गाके तुम एक गजल छेड़ो धुन प्यार की।
भाव सुन्दर सनम तुम दिखाओ कभी।।
-प्रीती श्रीवास्तव

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