मैनू याद उसकी आती रही सारी रात।
दिल मेरा ही जलाती रही सारी रात।।
वो साला ओड़ कर कम्बल सोता रहा।
मैं तकिये लगाकर रोती रही सारी रात।।
बड़ा निर्दयी बड़ा निष्ठुर था वो हरजाई।
मै अपना चैन शुकूं खोती रही सारी रात।।
सारा दिन खत लिखे मैने उसकी याद में।
ख्वाब खत में संजोती रही सारी रात।।
-प्रीती श्रीवास्तव
सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16.4.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3673 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
वाह बहुत खूब
ReplyDeleteजब पता है कि वह कैसा है तो फिजूल में अश्क बहाना...... ????
ReplyDeleteलगी रहें,एक दिन उसे समझ मे आयेगा जरूर।
ReplyDeleteफिर इश्क तो निखार देता हैं,बना देता हैं, संवार देता हैं।
ओह।
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