
आग
मनुष्य का
अविष्कार नहीं, मनुष्य से
पहले से है आग
आग
खोज भी नहीं है मनुष्य की
खुद आग खोज रही थी
कोई सुरक्षित हाथ
जिसमे कल्याणकारी रहे आग
2
आग
छिपकर आयी चकमक में
यही आग का दर्शन था
आग को जहां
नग्न किया गया
आग वहां विकराल हो गयी
3
आग
मनुष्यता को मिला
सबसे नायाब तोहफा था
सभी तत्वों से सबसे ज्यादा तीव्रता थी
आग में
आग ही ने समझाए
आग को झेलने..और
आग से खेलने के हुनर
4
आग से खेलने की पराकाष्ठा में
इसी आग से
मनुष्य ने
मनुष्यता जला डाली
-वीरेंदर भाटिया
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 03 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteBA LLB 1st Semester Political Science Notes
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