हाथों का हल्दी है पीली
पैरों की मेहंदी है कुछ गीली
पलक झपकने के पहले ही
सपना टूट गया
दीप बुझाया रची दिवाली
लेकिन कटी न अमावस काली
व्यर्थ हुआ आह्वान, स्वर्ण सवेरा रूठ गया
सपना टूट गया
नियति नटी की लीला न्यारी
सब कुछ स्वाही की तैयारी
अभी चला दो कदम कारवां,साथी छूट गया
सपना टूट गया
पैरों की मेहंदी है कुछ गीली
पलक झपकने के पहले ही
सपना टूट गया
दीप बुझाया रची दिवाली
लेकिन कटी न अमावस काली
व्यर्थ हुआ आह्वान, स्वर्ण सवेरा रूठ गया
सपना टूट गया
नियति नटी की लीला न्यारी
सब कुछ स्वाही की तैयारी
अभी चला दो कदम कारवां,साथी छूट गया
सपना टूट गया
अटल बिहारी बाजपेयी
जन्मः 25,दिसम्बर,1924, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
स्रोतः रसरंग
जन्मः 25,दिसम्बर,1924, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
स्रोतः रसरंग
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (22-07-2014) को "दौड़ने के लिये दौड़ रहा" {चर्चामंच - 1682} पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर !
ReplyDeleteकर्मफल |
अनुभूति : वाह !क्या विचार है !
बहुत सुंदर , यशोदा जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुंदर रचना !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत ही उत्कृष्ट कविता
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