जिंदगी !!!
तेरे होठों पर मुस्कुराहट हो
तेरे माथे पर चमकता सूरज हो
तेरे कांधों पर घटाओं के घेरे हों
तेरी छुअन में एक उष्णता हो
जिंदगी !!!
तू जब भी मिले मुझसे
तेरा चेहरा मां से मिलता हो
तेरी आंखों में पिता का लाड़ हो
तेरी हथेलियों में हरारत हो
जिंदगी !!!
तू मिले, तो मिलना उजाला बनकर
सूरज की गुनगुनी धूप बनकर
वर्षा की रिमझिम बनकर
तारों की झिलमिल बनकर
जिंदगी !!!
मिलना होगा तुझे सागर के पार
क्षितिज के उस बिंदु पर
मिलते हैं जहां मौजों की गवाही में
अंबर और धरती एक-दूजे से
जिंदगी !!!
मिलना होगा तुझे...
- सुनीता घिल्डियाल
अच्छी कामना के साथ लिखा गया सुन्दर गीत।
ReplyDeleteबहुरंगी जिंदगी से मिलने की उत्कट इच्छा की सुन्दर अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteकर्मफल |
अनुभूति : वाह !क्या विचार है !
कुछ पंक्तियाँ आपने सुनी होगी ' कैसे जी पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अंतर, कैसे जी पाता यदि मिलती चिर तृप्ति अमरता पूर्ण प्रहर' । फिर भी हम उम्मीद तो एक संतृप्त जिंदगी की ही करते हैं । उम्मीद से भरी अच्छी कविता !
ReplyDeleteमन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ..
ReplyDeletewah sundar rachna...bhavon ko sundar shabd diya hai apne
ReplyDeleteवाह बहुत ही सुन्दर शब्दानुभूति
ReplyDeleteबेहद उम्दा और बेहतरीन ...आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@मुकेश के जन्मदिन पर.
बहुत सुन्दर ,पर एक बात -ऐसा मिलन सागर के पार क्यों ,इसी पार हो तो संसार का मंगल हो !
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ,
ReplyDeleteएक उर्दू शायर के लफ्जों को बयां करना चाहूंगा
कुछ हसरतें थी तुझसे , कुछ गिले हैं तुझसे,
सफर की इंतहा है ,ज़िन्दगी ,अब तो आ मिल मुझसे