सहज सरल हो गया...........इब्बार रब्बी
वर्षा में भींगकर
सहज सरल हो गया,
गल गई सारी किताबें
मैं मनुष्य हो गया।
ख़ाली-ख़ाली था
जीवन ही जीवन हो गया,
मैं भारी-भारी
हलका हो गया।
बरस रही हैं बूंदें
इनमें होकर
ऊपर को उठा
लपक कर तना।
पानी का पेड़
आसमान हो गया
वर्षा में भींगकर
मैं महान हो गया।
-इब्बार रब्बी
स्रोतः मधुरिमा
वाह ।
ReplyDeleteवाह! !!
ReplyDeleteगल गईं सारी किताबें
मैं मनुष्य हो गया
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteKhubsurat rachna...zabardast....
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