Wednesday, July 16, 2014

सहज सरल हो गया...........इब्बार रब्बी














वर्षा में भींगकर
सहज सरल हो गया,
गल गई सारी किताबें
मैं मनुष्य हो गया।

ख़ाली-ख़ाली था
जीवन ही जीवन हो गया,
मैं भारी-भारी
हलका हो गया।

बरस रही हैं बूंदें
इनमें होकर
ऊपर को उठा
लपक कर तना।

पानी का पेड़
आसमान हो गया
वर्षा में भींगकर
मैं महान हो गया।


-इब्बार रब्बी


स्रोतः मधुरिमा

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