Tuesday, June 10, 2014

तुम्हारी यादें....................फाल्गुनी

 














जब-जब मानसून बरसा
उसके साथ बरसे तुम
तुम्हारी यादें
तुम्हारी बातें
और मेरी आँखें।

जब-जब मानसून बरसा
उसके साथ बरसा मेरा वजूद
भीगा मेरा मन
और बढ़ उठी तपन।

जब-जब मानसून बरसा
उसके साथ बरसी
तुम्हारी तीखी बातों की किरचें
मन में जहाँ-तहाँ उग आई
बिन मौसम की मिरचें।

मानसून नहीं बरसा है यह
इसके साथ, बस बरसे हो तुम
कैसे बरसता मानसून
जब मेरी मन-धरा से तुम हो गए हो गुम। 


-फाल्गुनी

4 comments:

  1. मॉनसून अपने साथ कई भूली-बिसरी यादें ले कर आता है...और मन थोड़ा सा रूमानी हो जाता है...

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  2. Bahut hee bhavpurna abhivykti, yaadon mein sarabor.................

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