Sunday, June 15, 2014

रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा.....डॉ. विष्णु सक्सेना

 
 
रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा,
एक आई लहर तो कुछ बचेगा नहीं
तुमने पत्थर सा दिल कह तो दिया हमको
पत्थरों पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं

मैं तो पतझर था फिर क्यूं निमंत्रण दिया
ऋतु बसंती को तन में लपेटे हुए
आस मन में लिए प्यास तन में लिए
कब शरद आई पल्लू समेटे हुए

तुमने फेरी निगाहें अंधेरा हुआ
ऐसा लगता है सूरज उगेगा नहीं
मैं तो होली मना लूंगा सच मानिए
तुम दिवाली बनोगी ये आभास दो

मैं तुम्हें सौंप दूंगा तुम्हरी धरा
तुम मेरे पंखों को आकाश दो
उंगलियो पर दुपट्टा लपेटो न तुम
यूं करोगे तो दिल चुप रहेगा नहीं

आंख खोली तो तुम रुक्मिनी-सी लगी
बंद की तो राधिका लगी तुम
जब भी कभी तुम्हें शांत एकांत में
मीरा बाई-सी साधिका तुम लगी

कृष्ण की बाँसुरी पर भरोसा रखो
मन कहीं भी रहे डिगेगा नहीं...

-डॉ. विष्णु सक्सेना
 
प्राप्ति स्रोतः रसरंग

9 comments:

  1. मेरी पसंदीदा रचना। विष्णु सक्सेना को विष्णु सक्सेना बनाने वाली कृति। बेहद सुंदर।

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  2. खूबसूरत रचना...

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  3. बहुत सुंदर रचना...।

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  4. डॉ. विष्णु सक्सेना जी सुन्दर रचना प्रस्तुति के लिए धन्यवाद

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  5. बहुत सुंदर कृति

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  6. मनमोहक कविता

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  7. बहुत ही सुंदर रचना

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