अब मुझे खुदा कर दे....!!...................राजीव थेपरा
दर्द,जो कभी नहीं खत्म होता मेरे भीतर
दर्द,जो हर वक्त तड़पाता रहता है मुझे
दर्द,जो फिर भी जीने का हौसला देता रहता है
दर्द,जो हरदम भीतर बहता रहता है
दर्द,जिसने कभी जीना हराम नहीं किया
दर्द,जिसने मुझे हम सबसे जोड़ा हुआ है
दर्द,जिसने मुझे मानवता से पिरो़या हुआ है
दर्द,जो पता नहीं कितना तो रुलाता है मुझे
फिर भी इस दर्द का अहसानमंद हूँ मैं बहुत
यह दर्द,जो मेरे दिल का बोझ हल्का किया करता है
आंसुओं से सारी धरती को मुझमें समोया करता है
मेरा एक-एक आंसू एक-एक प्राणी का ही कोई दर्द है
यह दर्द बेशक बेहिसाब और अनंत है मुझमें
फिर भी ओ खुदा मेरी तुझसे ये ही इक इबादत है
और जितना दरद हैं तेरे पास,वो मुझमें भर दे
हर एक प्राणी-सजीव-निर्जीव को मुझमें भर दे
इस दर्द को मैं पीना चाहता हूँ,जीना चाहता हूँ....
दर्द से मेरी झोली भर दे.....
या खुदा तू वां से नीचे आ
अब मुझे खुदा कर दे....!!
--राजीव थेपरा
बहुत सुन्दर सामयिक
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती आभार ।
ReplyDeleteबहुत सुन्द प्रस्तुती आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर,आभार,
ReplyDeleteबहुत सुंदर, सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeletebhav + shabdo k asamvesh - ***
ReplyDeleteअतुलनीय
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति
समयानुकूल