"फादर्स-डे"
कल समूचे विश्व में फादर्स-डे मनाया जाएगा
कल समूचे विश्व में फादर्स-डे मनाया जाएगा
"कवि गिरिराज जोशी"
की एक रचना
पापा!
मुझे लगता था,
'माँ' ने मुझे आपार स्नेह दिया,
आपने कुछ भी नहीं,
आप मुझसे प्यार नहीं करते थे।
मगर पापा!
आज जब जीवन की,
हर छोटी-बड़ी बाधाओं को,
आपके 'वे लम्बे-लम्बे भाषण' हल कर देते है,
मैं प्यार की गहराई जान जाता हूँ....
--कवि गिरिराज जोशी
पिता का अदृश्य प्यार!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteBahut sundar....
ReplyDeleteअति उत्तम !
ReplyDeleteमगर पापा!
आज जब जीवन की,
हर छोटी-बड़ी बाधाओं को,
आपके 'वे लम्बे-लम्बे भाषण' हल कर देते है,
मैं प्यार की गहराई जान जाता हूँ
बिलकुल सच कहा आपने ! बहुत सुंदर रचना !
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-06-2013) के चर्चा मंच 1277 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और सुन्दर प्रस्तुती
ReplyDeleteसच,सुंदर अनुभूति
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
सादर
आग्रह है- पापा ---------
बहुत सुन्दर भावों की प्रस्तुति आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN "झुका दूं शीश अपना"
ReplyDeleteआई महान है ,
ReplyDeleteपिता कम नही ,
बस वो अपनी भावनाओं को खुलकर कह नही पाता,
उनके प्यार को बस महसूस किया जा सकता है !
लेकिन पुत्री विदाई के समय पिता के चेहरे से वो
प्यार पढ़ लेती है , सुन्दर रचना !