शुभ प्रभात....
आज फादर्स डे
पितृ दिवस
नमन उनको
आज पिता सम्मान पा रहे हैं
कल किसने देखा..
और देखेगा भी कौन..
कि पिता किस हाल में हैं...
खाना गरम मिला या नहीं
... दवा समय पर मिली या नहीं
रात बिछौना का चादर बदला था या नहीं
ये तो अच्छा है कि मेरे पिता की अब स्मृति शेष है..
मैं अपने भाईयों-भाभियों को जानती-पहचानती हूँ
वे होते तो क्या हाल होता उनका
मेरा प्रणाम उनको......
अब सुखी तो हैं वो
क्षमा....
हकीकत लिख गई
सादर
आज फादर्स डे
पितृ दिवस
नमन उनको
आज पिता सम्मान पा रहे हैं
कल किसने देखा..
और देखेगा भी कौन..
कि पिता किस हाल में हैं...
खाना गरम मिला या नहीं
... दवा समय पर मिली या नहीं
रात बिछौना का चादर बदला था या नहीं
ये तो अच्छा है कि मेरे पिता की अब स्मृति शेष है..
मैं अपने भाईयों-भाभियों को जानती-पहचानती हूँ
वे होते तो क्या हाल होता उनका
मेरा प्रणाम उनको......
अब सुखी तो हैं वो
क्षमा....
हकीकत लिख गई
सादर
शुभप्रभात छोटी बहना
ReplyDeleteआपकी हकीक़त से रु ब रु हूँ
हार्दिक शुभकामनायें
कटु सत्य बयान करती सार्थक पोस्ट ! हमारा भी नमन उनकी स्मृतियों को !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (16-06-2013) प्यार: पापा का : चर्चा मंच 1277 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सम्वेदनाएँ एक दिवस तक सिमटी जा रही है.
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना !
ReplyDeletelatest post पिता
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी रचनाएं हैं
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की फदर्स डे स्पेशल बुलेटिन कहीं पापा को कहना न पड़े,"मैं हार गया" - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteपितृ दिवस को समर्पित बेहतरीन व सुन्दर रचना...
ReplyDeleteशुभकामनायें...
एक दिवस में नहीं सिमट सकता पिता का प्यार ... आज कल लोग दिखावा करते हैं ..... काश लोग सच ही पिता को मन से सम्मान करते ।
ReplyDeleteपिता के जीवन जीने और भोगे हुये यथार्थ का मार्मिक सच
ReplyDeleteअदभुत
सादर
आग्रह है
पापा ---------