Saturday, May 30, 2020

कुछ तो असर था मेरी चाहतों में ...नामालूम

हवाओं सा जब से वो छू कर गया है 
मेरी रूह तक को वो महका गया है 

सजाया है किसने "अयान" मेरे घर को 
मेरे अंगना ये कौन आ गया है 

कुछ ऐसे है रौशन तेरे नूर से हम 
यूँ लगता है दिल मे खुदा आ गया है 

महफ़िल सी ले के मेरे जहन ओ दिल मे 
तेरी यादों का कारवां आ गया है 

कुछ तो असर था मेरी चाहतों में 
वो हो के सब से जुदा आ गया है.
-नामालूम

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