Friday, May 29, 2020

जरा बता दो है क्या ...प्रीती श्रीवास्तव

बहुत ग़ज़ल से मुहब्बत वो करतें हैं यारों
उसी में शामों सहर रंग भरतें हैं यारों।।

नजर उठी मेरी उनकी तरफ देखा उन्हें।
वो करते इश्क से दीदार डरतें हैं यारों।।

कोई बता दो मेरी आरजू उन्हें जाकर।
लिखा है खत में कि वो आहें भरतें हैं यारों।।

करूं मैं कैसे यूं दीदार अपने साहिब का।
वो तो नकाब हटातें भी डरतें हैं यारों।।

खुदा ही जाने मुहब्बत में क्या होगा मेरा।
देखा है लोग होकर खाक मरतें हैं यारों।।

जरा बता दो है क्या हाथ की लकीरों में।
ये सच है इश्क तो उन्ही से करतें हैं यारों।।
-प्रीती श्रीवास्तव

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