Friday, May 1, 2020

तुझे क्या मिलेगा ऐ बेवफा ..नवीन मणि त्रिपाठी

बहरे कामिल मुसम्मन सालिम
मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
11212 11212 11212 11212
मुझे मयकशी से गुरेज़ है , 
मेरी ज़िंदगी में न ख़्वार कर ।
मेरी तिश्नगी तू बढा न अब 
मेरे साथ शाम गुज़ार कर ।।1

मेरे हाले दिल को तू पूछ मत 
मेरे ज़ख्म को न कुरेद अब ।।
तुझे क्या मिलेगा ऐ बेवफा 
मेरे दर्द को यूँ उभार कर ।।2

ये जमाल तो है शबाब पर 
कोई चाँद उतरा जमीं पे है ।
वो तो बिजलियाँ ही गिरा गया 
सरे बज़्म जुल्फें सँवार कर ।।3

तेरे हुस्न पे जाँ निसार है , 
तेरी हर अदा का ग़ुलाम हूँ ।
शबे वस्ल है ज़रा पास आ , 
यूँ झुकी नज़र से न वार कर ।।4

तू नकाब अपना हटाये रख ,
मेरी चाहतों का सवाल है ।
मेरी ख्वाहिशें हैं जवां जवां ,
तुझे बारहा यूँ निहार कर ।।5

है लुटा लुटा सा चमन यहां ,
ये शज़र खिजां का शिकार है ।
ऐ ख़ुदा ए हुस्न ठहर ज़रा 
मेरे बाग़ में तू बहार कर ।।6

यहां पायलों की खनक पे है 
मेरे दुश्मनों की तो चौकसी ।
तू सँभल सँभल के करीब आ 
कहीं घुघरुओं को उतार कर ।।7

-नवीन मणि त्रिपाठी

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