नख से शिख तक भई सिंदूरी
लाजवंती सी नार
आयेगे वो आय रहे है
सुनकर हुई गुलनार !
आवन को संदेशो ऐसो
सुर छेड़े मन माही
सरगम की सी सांसै है गई
कानो में धड़कन पड़े सुनाई !
नयन मूँद निरखे मन माही
लब स्मित मुस्कान सजे
ऐसे मै गर आये साजन
कैसे किसको होश रहे !
सात हाथ का घूँघट ओढ़ा
उस पर लाल चुनरिया
शर्म से लाल रुखसार हो गये
लालम लाल बहुरिया !
- डॉ. इन्दिरा गुप्ता ✍
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteदुल्हन के मन को दर्शाती
श्रृंगार में डूबी भावपूर्ण रचना
आभार भावोकी सराहना के लिये
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (31-12-2017) को "ले के आयेगा नव-वर्ष चैनो-अमन" (चर्चा अंक-2834)
ReplyDeleteपर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार 🙏
Deletethanx 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियां
ReplyDeleteअत्यंत रोचक नववर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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