Saturday, August 19, 2017

तमाशा देखेंगे....कवि डी. एम. मिश्र


कोई ‘हिटलर’ अगर हमारे मुल्क में जनमे तो।
सनक में अपनी लोगों का सुख-चैन चुरा ले तो।

अच्छे दिन आयेंगे, मीठे - मीठे जुमलों में,
बिन पानी का बादल कोई हवा में गरजे तो।

मज़लूमों के चिथड़ों पर भी नज़र गड़ाये हो,
ख़ुद परिधान रेशमी पल-पल बदल के निकले तो।

दूर बैठकर फिर भी आप तमाशा देखेंगे,
जनता से चलनी में वो पानी भरवाये तो।

कितने मेहनतकश दर -दर की ठोकर खायेंगे,
ज़ालिम अपने नाम का सिक्का नया चला दे तो।

वो मेरा हबीब है उससे कैसे मिलना हो,
कोई दिलों में यारों के नफ़रत भड़काये तो।

जिसके नाम की माला मेरे गले में रहती है,
वही मसीहा छुरी मेरी गरदन पर रख दे तो।

आँख मूँदकर कर लेंगे उस पर विश्वास मगर,
दग़ाबाज सिरफिरा वो हमको अंधा समझे तो।
-कवि डी. एम. मिश्र

5 comments:

  1. नाम वही, काम वही लेकिन हमारा पता बदल गया है। आदरणीय ब्लॉगर आपने अपने ब्लॉग पर iBlogger का सूची प्रदर्शक लगाया हुआ है कृपया उसे यहां दिए गये लिंक पर जाकर नया कोड लगा लें ताकि आप हमारे साथ जुड़ें रहे।
    इस लिंक पर जाएं :::::
    http://www.iblogger.prachidigital.in/p/best-hindi-poem-blogs.html

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-08-2017) को "चौमासे का रूप" (चर्चा अंक 2702) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. उम्दा ! सत्य का अनावरण करती आपकी रचना ,आभार ''एकलव्य"

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  4. आम को आम कहे और इमली को इमली कहे तो उभरती है यथार्थपरक रचना। सुंदर प्रस्तुति।

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