Thursday, October 20, 2016

हमीं बुनियाद का पत्थर हैं........ राहत इंदौरी

नया सूरज निकाला जा रहा है
दिए में तेल डाला जा रहा है

हमीं बुनियाद का पत्थर हैं 
लेकिन हमें घर से निकाला जा रहा है 

न हार अपनी न अपनी जीत होगी
मगर सिक्का उछाला जा रहा है

मेरे झूठे गिलासों की चखा कर
बहकों को संभाला जा रहा है

जनाज़े पे मेरे लिख देना यारो
मोहब्बत करने वाला जा रहा है

5 comments:

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (21-10-2016) के चर्चा मंच "करवा चौथ की फि‍र राम-राम" {चर्चा अंक- 2502} पर भी होगी!
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. वाह, क्या बात है !

    ReplyDelete
  3. वाह, क्या बात है !

    ReplyDelete
  4. अरे वाह, इन्दौरी साहब का क्या कहना!!

    ReplyDelete