Monday, January 28, 2013

इश्क़ में इल्ज़ाम उठाने ज़रूरी हैं...............हेमज्योत्सना 'दीप'

सफ़र के बाद अफ़साने ज़रूरी हैं
ना भूल पाए वो दीवाने ज़रूरी हैं

जिन आँखों में हँसी का धोखा हो
उनके मोती चुराने ज़रूरी हैं

माना के तबाह किया उसने मुझे,
मगर रिश्ते निभाने ज़रूरी हैं

ज़ख़्म दिल के नासूर ना बन जाए
मरहम इन पर लगाने ज़रूरी हैं

माना वो ज़िंदगी हैं मेरी लेकिन,
पर दूर रहने के बहाने ज़रूरी हैं

इश्क़ बंदगी भी हो जाए, कम हैं,
इश्क़ में इल्ज़ाम उठाने ज़रूरी हैं

महफ़िल में रंग ज़माने के लिए,
दर्द के गीत गुनगुनाने ज़रूरी है

रात रोशन हुई जिनसे सारी,
सुबह वो 'दीप' बुझाने ज़रूरी हैं। 


-हेमज्योत्सना 'दीप'

11 comments:

  1. बहुत खूब!
    अन्त:स्थल को छू लिया कविता ने.

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  2. ज़ख़्म दिल के नासूर ना बन जाए
    मरहम इन पर लगाने ज़रूरी हैं
    बहुत खूब !!

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  3. बढ़िया प्रस्तुति ||
    शुभकामनायें आदरेया ||

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  4. बहुत बढ़िया प्रस्तुति...

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  5. इश्क़ बंदगी भी हो जाए, कम हैं...
    bahut sundar..

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  6. wahh....Bahut sundar Gazal...
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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