Friday, October 5, 2012

यादों की मासूम तितली..............स्मृति जोशी "फाल्गुनी"

 हर वक्त हर हाल में
मेरे साथ रही
तुम्हारी यादों की तितली

उड़ती रही, मँडराती रही
हवा के संग फरफराती रही
तुम्हारी यादों की तितली

रंगबिरंगी और आकर्षक
नाजुक और खुशनुमा

पकड़ी नहीं जा सकी मुझसे
बस, जब भी पकड़ना चाहा
कठोर होकर,

ना जाने कितनी और
उग आई मुझमें ही
जैसे मैं भूल गई थी
उन्हें खुद में ही बो कर... !

उदासी के लंबे रेगिस्तान में
जब कोई नहीं था
मेरे पास
रही
बस वही ति‍तली
मेरे आसपास।

जब तक साँसों के क्यारी में
महक रही है
तुम्हारी नजरों की रातरानी

थिरकती रहेगी मुझमें
यादों की सुकोमल तितली

अनछुई और अधखिली
कुछ-कुछ सूखी, कुछ-कुछ गीली
यादों की मासूम तितली। 

-स्मृति जोशी "फाल्गुनी" 
 Feature Editor, Webdunia.com 

14 comments:

  1. यादों की मासूम तितली....बहुत खूब |

    सादर |

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    1. शुक्रिया मन्टू भाई

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  2. बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही भावनामई रचना शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन

    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/

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  3. स्मृति जी ,बहुत सुंदर भाव पूर्ण कविता

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  4. बहुत ही सुन्दर,प्यारी रचना..
    :-)

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  5. स्मृति जी ,बहुत सुंदर रचना...........अनछुई और अधखिली
    कुछ-कुछ सूखी, कुछ-कुछ गीली
    यादों की मासूम तितली।

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  6. इस यादों की तितली को बहुत संभाल के रखना ...

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  7. बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही भावनामई रचना.बहुत बधाई आपको

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