ये जो
हर हाल में
"मौन" है !
आखिर कौन है ?
आखिर कौन है ?
'राजा' है
या है 'मोहरा' ?
सच पे है
घना कोहरा !
बेईमानो की यहाँ
भीड़ बहुत है,
दलालों के यहाँ
'नीड़' बहुत है !
बिगड़ गई है
दशा,देश की,
टूटी मर्यादा,
'श्वेत' भेष की !
व्यवस्था सारी
चौपट है,
कुर्सियों पे
चढ़े 'नट' है !
घपलों का
ना और-छोर है,
'चोर' कोई,
कोई 'महा चोर' है !
मोबाईल की
'तरंगे' खा गए,
खा गए
कोयले की खान !
विकलांगों की
बैसाखिया खा गए,
खा गए अपना 'ईमान'!!
''रोबोट'' है,या
उसका 'क्लोन' है ?
ये जो
हर हाल में
"मौन" है !
आखिर कौन है ?
आखिर कौन है ?
---अशोक पुनमिया
http://ashokpunamia.blogspot.in/
हर हाल में
"मौन" है !
आखिर कौन है ?
आखिर कौन है ?
'राजा' है
या है 'मोहरा' ?
सच पे है
घना कोहरा !
बेईमानो की यहाँ
भीड़ बहुत है,
दलालों के यहाँ
'नीड़' बहुत है !
बिगड़ गई है
दशा,देश की,
टूटी मर्यादा,
'श्वेत' भेष की !
व्यवस्था सारी
चौपट है,
कुर्सियों पे
चढ़े 'नट' है !
घपलों का
ना और-छोर है,
'चोर' कोई,
कोई 'महा चोर' है !
मोबाईल की
'तरंगे' खा गए,
खा गए
कोयले की खान !
विकलांगों की
बैसाखिया खा गए,
खा गए अपना 'ईमान'!!
''रोबोट'' है,या
उसका 'क्लोन' है ?
ये जो
हर हाल में
"मौन" है !
आखिर कौन है ?
आखिर कौन है ?
---अशोक पुनमिया
http://ashokpunamia.blogspot.in/
Nice poem asking about the truth.
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