Monday, October 15, 2012

प्राप्ति................. पण्डित सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

आज सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' की पुण्यतिथि है-

प्राप्ति
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तुम्हें खोजता था मैं,
पा नहीं सका,
हवा बन बहीं तुम, जब
मैं थका, रुका ।

मुझे भर लिया तुमने गोद में,

कितने चुम्बन दिये,
मेरे मानव-मनोविनोद में
नैसर्गिकता लिये;

सूखे श्रम-सीकर वे

छबि के निर्झर झरे नयनों से,
शक्त शिरा‌एँ हु‌ईं रक्त-वाह ले,
मिलीं - तुम मिलीं, अन्तर कह उठा
जब थका, रुका ।

~सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
साभा--
https://www.facebook.com/pages/Selected-Pearls-चुने-हुए-मोती

1 comment:

  1. मिलीं - तुम मिलीं, अन्तर कह उठा
    जब थका, रुका.....
    ..........................

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