Thursday, September 26, 2019

बचा रहे बनारस... प्रतिभा कटियार


दाल में बचा रहे रत्ती भर नमक
इश्क़ में बची रहें शिकायतें
आँखों में बची रहे नमी
बचपन में बची रहें शरारतें
धरती पर बची रहें फसलें
नदियों में बचा रहे पानी
सुबहों में बची रहे कोयल की कूक
शामों में बची रहे सुकून की चाय
दुनिया में बची रहे मोहब्बत
और बचा रहे बनारस....!!


10 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (27-09-2019) को    "महानायक यह भारत देश"   (चर्चा अंक- 3471)     पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।  --हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आभार संजय भाई
    सादर

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  3. तरक्की कर रहा है बनारस। सुन्दर।

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  4. वाह क्या बात है उमर्दा बतकही।

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  5. वाह....क्या बात कहा है आपने 👌👌

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  6. वाह !बहुत सुन्दर 👌
    सादर

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  7. वाह बहुत ही उम्दा सृजन

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  8. ये सब नहीं बचा सके तो जीवन का माधुर्य ही समाप्त हो जाएगा-बनारस रहेगा और बनारसी रंग भी!

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