पता है न....शुभा मेहता
पता है न ...
एक दिन तुम भी
टँग जाओगे
तस्वीर में
घर के किसी
कोने में
किसी खूँटी पर
इसीलिए...
प्रेम बीज बोओ
उन्हें प्रेम से पालो
सींचो प्रेम से
प्रेम फल पाओगे
क्या धरा है
झगड़े -लड़ाई में
प्रेम बोओगे
सबके दिलों मेंं
रह जाओगे ।
लेखिका - शुभा मेहता
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (16-09-2019) को "हिन्दी को वनवास" (चर्चा अंक- 3460) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
ReplyDeleteअटल मार्मिक यथार्थ ... टंगती तस्वीर है और तस्वीर वाला राख या ख़ाक में बदल जाता है ...कटु सत्य ...
ReplyDeleteबहुत ही हृदयस्पर्शी कटु सत्य ..
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा...प्रेम ही है जो रहता है अनंत काल तक
ReplyDeleteप्रेम बोओ....सुन्दर शब्द!
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