Saturday, September 14, 2019

हाँ अच्छी लड़कियाँ हैं हम....अनीता सैनी


हाँ अच्छी लड़कियाँ हैं हम,
पीढ़ियों से अर्जित संस्कारों की हैं शबनम |

  सजा इन्हीं का मुकुट,  
शीश  पर ,
हया का ओढ़ा  है  घूँघट 
मन  पर ,
छलकाती हैं करुणा,
नित नभ नूतन पर,
हाँ अच्छी लड़कियाँ हैं हम |

 रस्म-ओ-रिवाज के नाज़ुक बँधन से,
 बँधे  हैं  हमारे  हर बँधन,
मातृत्व को  धारणकर ,
ममता को निखारा है हमने , 
धरा-सा कलेजा ,
सृष्टि-सा रुप निखारा है हमने,
हाँ अच्छी लड़कियाँ हैं हम |

हम पर टिका है, 
नारी के नारीत्व का विश्वास,
अच्छे होने का उठाया है बीड़ा,
हमने  अपने सर, 
मान देती हैं  मर्यादा को,
परम्परावादी विशुद्ध प्रेम, 
  परिवार पहला  दायित्व  है हमारा, 
हाँ अच्छी लड़कियाँ हैं हम |

 कँधों पर हमारे  टिका है, 
समाज की अच्छाई का स्तम्भ,
हृदय जलाकर दिखाती हैं,
रौशनी समाज के भविष्य को, 
त्याग के तल पर जलाती हैं,
 दीप स्नेह का ,
हाँ अच्छी लड़कियाँ हैं  हम |

अच्छा लगता है ,
हमें रिश्तों में घुल-मिल जाना ,
नहीं अच्छा लगता,   
मन से बेलगाम हो जाना,
देख  रही  हैं   हम,
 बेलगाम  मन  का अंजाम,
हाँ अच्छी लड़कियाँ हैं  हम !

लेखिका - अनीता सैनी 

2 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना ...उम्दा अभिव्यक्ति ।

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