Saturday, September 28, 2019

याद करने का सिला ...नीरज गोस्वामी

याद करने का सिला मैं इस तरह पाने लगा
मुझको आईना तेरा चेहरा ही दिखलाने लगा

दिल की बंजर सी ज़मी पर जब तेरी दृष्टि पड़ी
ज़र्रा ज़र्रा खिल के इसका नाचने गाने लगा

ज़िस्म के ही राजपथ पर मैं जिसे ढूँढा सदा
दिलकी पगडंडी में पे वोही सुख नज़र आने लगा

हसरतों की इमलियाँ गिरती नहीं हैं सोच से
हौसला फ़िर पत्थरों का इनपे बरसाने लगा

रोक सकता ही नहीं हों ख्वाइशें जिसकी बुलंद
ख़ुद चढ़ा दरिया ही उसको पार पहुँचने लगा

तेरे घर से मेरे घर का रास्ता मुश्किल तो है
नाम तेरा ले के निकला सारा डर जाने लगा

बावरा सा दिल है मेरा कितना समझाया इसे
ज़िंदगी के अर्थ फ़िर से तुझ में ही पाने लगा

सोचने में वक्त "नीरज" मत लगाना भूल कर
प्यार क़ातिल से करो गर वो तुम्हे भाने लगा 
-नीरज गोस्वामी

5 comments:

  1. वाह वाह ।
    नीरज जी ही वो व्यक्ति हैं जिनसे प्रभावित होकर मैं ब्लॉग जगत तक पहुंचा।
    इनसे बहुत कुछ सीखा है मैंने।

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  2. बहुत खूब ,सादर

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  3. बहुत सुन्दर

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