अक्सर हो जाती है
इकट्ठी
ढेर सारी व्यस्तताएँ
और आदमी
फस जाता है इन व्यस्तताओं
के जाल में
पर आदमी सोचता जरूर
है की छोड़ आएँ
व्यस्तताएँ कोसो दूर अपने से
पर जब हम निकलते
व्यस्तताओं को
दूर करने के लिए
तब लाख कोशिशों
के बाद पीछा नहीं छोड़ती
ये व्यस्तताएँ हमारा
और हमे
मजबूरन जीना पड़ता है
ये व्यस्तताओं भरा जीवन
और लड़ना पड़ता है अपने आपसे
और व्यस्तताओं से
तब इन व्यस्तताओं से बचने के बहाने
तलाशता आदमी
हमेशा व्यस्त नजर आता है !!
- संजय भास्कर
व्यस्त रहें मस्त रहें।
ReplyDeleteवाह बहुत खूब! व्यस्तता के जाल से निकलने में भी व्यस्ता ।
ReplyDeleteबेहतरीन।
ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं!!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/08/2019 की बुलेटिन, " कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
इंसान को व्यस्त रहना ही चाहिए वर्ना खाली दिमाग शैतान का घर। ये जरूर है कि कभी-कभार ज्यादा व्यस्तता से मन को बोझिल हो उठता है . बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-08-2019) को "मेक इन इंडिया " (चर्चा अंक- 3438) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
वाह बहुत सही और सटीक बात कही आपने ....
ReplyDeleteवाह!!संजय जी ,बहुत खूब कहा आपनें ,व्यस्तता के जाल में उलझ कर रह जाता है इंसान ..।
ReplyDeleteव्यस्त होना अच्छी बात है पर अति व्यस्त ता कई बार दुःखी कर देती है ...सही और सटीक बात ..संजय जी ..
ReplyDeleteव्यस्त रहना तो अच्छा है जीवन में ...
ReplyDeleteसार्थक लिखा है संजय जी ...