मत पूछिये.
कि मैं क्या लाया.
पालकी प्यार की.
सजा लाया |
..........
जागता है वो
अब मेरी तरह.
नींद उसकी.
आँखों से ही
चुरा लाया |
..............
उसने..
पूछा कि..
चाँद कैसा है
आइना उसे
बस दिखा दिया |
................
स्वर्ग....
होता है कहाँ.....,
बताना था उसे
मैं गाँव अपना...
उसे घुमा लाया...
..............
गम नहीं है
हमें जुदाई का
आपसे,
फिर मिलेंगे
अगर खुदा चाहे |
-अरुण
वाह
ReplyDeleteवाह बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDelete
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-08-2019) को "देशप्रेम का दीप जलेगा, एक समान विधान से" (चर्चा अंक- 3431) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी