
सड़क के बीचों बीच
भूल गयी अपना पता
नाम, शख्सियत
गर्म तवा छू लिया
सोचके कि
ठंडी सुराही रखते थे
पहले वहाँ
चाय में नमक है
सब्ज़ी में दूध उड़ेलते ही
हवा को घुटन होने लगती है
आँसू हैं या पसीना
कोई चखे तो जाने
चेहरा भीग गया है
उमस की अँधेरी रात
आँखों में उतरती
किसी चौराहे पर
निर्वस्त्र खड़ी है
फ़व्वारे थक गए हैं
वो अपना नाम भूल गयी है
- पूजा प्रियम्वदा
वाह
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (15-07-2019) को "कुछ नया होना भी नहीं है" (चर्चा अंक- 3397) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'