Tuesday, March 5, 2019

दिल का लगाना आ गया...प्रीती श्रीवास्तव

उनकी बज्म तक चलकर जाना आ गया।
खूबसूरत सफर का लुत्फ़ उठाना आ गया।।

यूं बैठे थे सारे मेहरबां मुद्दत से नकाब में।
तीर निशाने पर हमको लगाना आ गया।।

तोड़कर लाते थे कभी वो फूल गुलाब का।
कांटो से हमको दिल का लगाना आ गया।।

पेशे खिदमत में हमारी उनकी तहरीर थी।
चार लफ्जों से हमें उनको लुभाना आ गया।।

लगाओ बोली शौक से बिकने को तैयार हूं।
तुम्हारी कीमत का अंदाजा लगाना आ गया।।
- प्रीती श्रीवास्तव

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर !!

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  2. तोड़कर लाते थे कभी वो फूल गुलाब का।
    कांटो से हमको दिल का लगाना आ गया।।
    बहुत सुन्दर...
    वाह!!!

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  3. वाह !!! बहुत खूब.........

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-03-2019) को "आँगन को खुशबू से महकाया है" (चर्चा अंक-3266) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. बहुत सुंदर ग़ज़ल।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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