Saturday, March 30, 2019

‘एक नया अनुभव’...हरिवंश राय बच्चन



मैंने चिड़िया से कहा, 'मैं तुम पर एक 
कविता लिखना चाहता हूँ ।'
चिड़िया ने मुझ से पूछा, 'तुम्हारे शब्दों में 
मेरे परों की रंगीनी है ?'
मैंने कहा, 'नहीं ।'
'तुम्हारे शब्दों में मेरे कंठ का संगीत है ?'
'नहीं ।'
'तुम्हारे शब्दों में मेरे डैनों की उड़ान है ?'
'नहीं ।'
'जान है ?'
'नहीं ।'
'तब तुम मुझ पर कविता क्या लिखोगे ?'
मैंने कहा, 'पर तुमसे मुझे प्यार है ।'
चिड़िया बोली, 'प्यार का शब्दों से क्या सरोकार है ?'
एक अनुभव हुआ नया ।
मैं मौन हो गया !
-हरिवंशराय बच्चन

7 comments:

  1. ओहह्ह.. गज़ब..अंचभित करता सृजन वाहह्हह...
    आभार सर साक्षा करने के लिए।
    सादर

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  2. इतनी सुन्दर रचना साझा करने आभार आपका ।

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  3. बहुत सुंदर कविता सच कवि कहीं भी पहुंच सकता है पर जानता है कि हर प्राणी के सोच का दायरा कितना विस्तृत होता है और कवि वहां भी अपने हिसाब से पहुंच ही जाता है।
    शानदार कविता बच्चनजी की गहन दृष्टि को नमन।

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  4. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-03-2019) को " निष्पक्ष चुनाव के लिए " (चर्चा अंक-3291) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

    -अनीता सैनी









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  5. बहुत सुन्दर

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  6. बहुत ही सुंदर संवाद कवि और चिड़िया के बीच
    हरिवंश जी खुदको अयोग्य बताते हुए भी स्मरणीय कविता रच दिए हैं
    आभार जी पढ़वाने के लिए
    सादर

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