Friday, January 4, 2019

क्षणिकाएँ....श्वेता सिन्हा

ख्वाहिशें
रक्तबीज सी
पनपती रहती है
जीवनभर,
मन अतृप्ति में कराहता
बिसूरता रहता है
अंतिम श्वास तक।

--*--*--

मौन
ब्रह्मांड के कण कण
में निहित।
अभिव्यक्ति
होठों से कानों तक
सीमित नहीं,
अंतर्मन के
विचारों के चिरस्थायी शोर में
मौन कोई नहीं हो सकता है।

--*--*--

दुख
मानव मन का
स्थायी निवासी है
रह रह कर सताता है
परिस्थितियों को
मनमुताबिक
न देखकर।

--*--*--

बंधन
हृदय को जोड़ता
अदृश्य मर्यादा की डोर है।
प्रकृति के नियम को
संतुलित और संयमित
रखने के लिए।

--*--*--

दर्पण
छलावा है
सिवाय स्वयं के
कोई नहीं जानता
अपने मन के
शीशे में उभरे
श्वेत श्याम मनोभावों को।

--*--*--
-श्वेता सिन्हा



9 comments:

  1. बहुत ही सुंदर.....क्षणिकाएं
    मौन
    ब्रह्मांड के कण कण
    में निहित।
    अभिव्यक्ति
    होठों से कानों तक
    सीमित नहीं,
    अंतर्मन के
    विचारों के चिरस्थायी शोर में
    मौन कोई नहीं हो सकता है।....बेहतरीन

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर श्वेता !
    लेकिन ज़िन्दगी की तल्ख़ हक़ीक़त को बयान करने की ज़िम्मेदारी हम बुजुर्गों पर छोड़ दो. तुम तो कोई उम्मीद भरा गीत ही गुनगुनाओ.

    ReplyDelete
  3. वाह , बेहतरीन क्षणिकाएं

    ReplyDelete
  4. सुंदर क्षणिकाएं..

    ReplyDelete
  5. अद्भुत अप्रतिम सुंदर ।

    ReplyDelete
  6. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (05-01-2019) को "साक्षात्कार की समीक्षा" (चर्चा अंक-3207) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  7. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार (05-01-2019) को "साक्षात्कार की समीक्षा" (चर्चा अंक-3207) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete