Wednesday, January 2, 2019

मैं कब कहता हूँ .......बशीर बद्र

गूगल से साभार 
मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है
मगर उसने मुझे चाहा बहुत है


खुदा इस शहर को महफ़ूज़ रखे
ये बच्चो की तरह हँसता बहुत है


मैं हर लम्हे मे सदियाँ देखता हूँ
तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत है


मेरा दिल बारिशों मे फूल जैसा
ये बच्चा रात मे रोता बहुत है


वो अब लाखों दिलो से खेलता है
मुझे पहचान ले, इतना बहुत है
- बशीर बद्र 

13 comments:

  1. बेहतरीन ग़ज़ल...
    सादर..

    ReplyDelete
  2. शुभ प्रभात
    बहुत ही सुन्दर ग़जल 👌

    ReplyDelete
  3. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल..,

    ReplyDelete
  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 3.1.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3205 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

    ReplyDelete
  5. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 3 जनवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1266 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

    ReplyDelete
  6. वाह बहुत उम्दा गजल बसीर साहब की सहज धरातल पर लिखी।

    ReplyDelete
  7. अफ़सोस कि बशीर बद्र साहब आज बोलने की हालत में नहीं हैं लेकिन उनके अशआर आज भी बोलते हैं.

    ReplyDelete
  8. "मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है
    मगर उसने मुझे चाहा बहुत है"

    इस पंक्ति का भाव मेरे जिंदगी से जुड़ा है।
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने।

    ReplyDelete
  9. बेहतरीन।
    बहुत मज़ा आ गया पढ़कर।

    ReplyDelete