Saturday, January 5, 2019

तुझमें नयापन क्या है .......फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ऐ नए साल बता, तुझमें नयापन क्या है 
हर तरफ़ ख़ल्क़ ने क्यूँ शोर मचा रक्खा है


रौशनी दिन की वही, तारों भरी रात वही 
आज हमको नज़र आती है हर इक बात वही


आसमाँ बदला है, अफ़सोस, ना बदली है ज़मीं 
एक हिंदसे का बदलना कोई जिद्दत तो नहीं


अगले बरसों की तरह होंगे क़रीने तेरे 
किसको मालूम नहीं बारह महीने तेरे


जनवरी, फ़रवरी और मार्च पड़ेगी सर्दी 
और अप्रैल, मई, जून में होगी गर्मी


तेरा मन दहर में कुछ खोएगा, कुछ पाएगा 
अपनी मीआद बसर करके चला जाएगा


तू नया है तो दिखा सुबह नयी, शाम नयी 
वरना इन आँखों ने देखे हैं नए साल कई


बेसबब देते हैं क्यूँ लोग मुबारकबादें 
ग़ालिबन भूल गए वक़्त की कड़वी यादें


तेरी आमद से घटी उम्र जहाँ में सब की 
'फ़ैज़' ने लिक्खी है यह नज़्म निराले ढब की
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

6 comments:

  1. बेहतरीन.........
    एकदम अलग
    सत्य !

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  2. वाह बहुत सुन्दर उम्दा और सत्य।

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  3. सच ,सिर्फ कैलेंडर पर तारीखे ही तो बदलती है खूबसूरत रचना...... , सादर नमन यशोदा जी

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 05/01/2019 की बुलेटिन, " टाइगर पटौदी को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. वाह,बहुत खूब

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