Friday, April 20, 2018

*पंद्रह कदम* ......कुसुम कोठारी


पहले कदम से साथ चले सब
एक सुंदर स्नेह *अलाव*'प्रज्वलित कर 
फिर मचा *'बवाल'* जबरदस्त
तीसरा कदम एक *'चित्र'* मनोरम
रचा सभी ने काव्य विहंगम
फिर कायनात हुई *इंद्रधनुषी*
*पहाड़ी नदी* की रागिनी मोहक
*खलल* पडा फिर भी ना  रुका कारवाँ
बढते रहे कदम उत्साहित
*प्रश्न* पूछना था तितली से
क्यों मंडराती हो सुमनों पर
सांझ ढले होती *उदास*
*परिक्रमा* ये कैसी विचित्र
फिर भी ना छोडी *उम्मीद*
*एहसास* था कितना गहरा
उस पर *तन्हाई* का पहरा
तोड बंधन भरी  *उड़ान* 
*डर* का ना था अब कोई काम
पंद्रहवें कदम पर *कदम*  मिलायें
आज तक की यही कहानी
लिखो कदम पर कविता सुहानी।
-कुसुम कोठारी।

19 comments:

  1. वाह!!कुसुम जी ,सुहाने सफर की सुंदर कहानी ।

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    1. सादर आभार मित्र जी।
      सफर और साथ दोनों ही सुंदर है।

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    1. जी सादर आभार आदरणीय जी।

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (21-04-2017) को "बातों में है बात" (चर्चा अंक-2947) (चर्चा अंक-2941) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. जी सादर आभार आदरणीय जी ।
      मै अनुग्रहित हुई अपनी रचना के चयन पर।

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  4. 👏👏👏👏👏क्या बात मीता ....कदम कदम की अद्भुत चर्चा ...🙏🙏

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    1. आपका साथ था हमकदम!
      हमसफर ।
      स्नेह आभार।

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  5. वाह!!! बहुत खूब ..... सुन्दर सफर की सुंदर कहानी

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    1. जी नीतू जी सफर सचमुच दिलकश था आपके साथ साथ
      स्नेह आभार।

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  6. वाह ! सफर की यादें ताजा हो गईं । क्या वाकई पंद्रह सप्ताह बीत गए ?

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    1. सादर आभार सखी, सफर सुहाना था समय का किसे भान चलते रहेगें ऐसे ही साथ साथ।
      सच कल ही की बात लग रही है।

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  7. बहुत सुन्दर

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  8. वाह वाह 👏 क्या खूब लिखा है.
    सभी पंद्रह कदम, कदम दर कदम याद आ गये. 😊 😊

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    1. आभार सखी।
      कारवां खूबसूरत था मंजिल की किसे पड़ी।

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    2. बिल्कुल सही कहा आपने, ये कारवां बड़ा ही खूबसूरत है

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  9. अरे.वाह्ह दी....मस्त एकदम..👌👌👌
    हमक़दम का इससे सुंदर विवरणात्मक काव्यात्मक अभिव्यक्ति आपके सिवा और कौन कर सकता है...।
    बहुत खूब दी।

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  10. हमकदम पर इतना सुन्दर काव्य...
    वाह ! कुसुम जी आपका भी जबाब नहीं...
    बहुत उम्दा...

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