Thursday, January 11, 2018

अलाव....प्रतिमा भारती


हर तरह कर ली कोशिश
कि गुज़र जाए रात......
फिर भी ज़रूरत पड़ ही गयी
बुझती यादों के सायों की।
इन्हीं को जला के अलाव
की कोशिश
कुछ गरमाहट दें एहसासों को
कि नई किरण के साथ 
जग जाएँ रिश्ते ....
नई सुबह के लिए।।

-प्रतिमा भारती

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