Sunday, May 1, 2016

बारिश के पहले................. ब्रजेश कानूनगो










आने से पहले
कुछ और भी चला आता है
सूचना की तरह
जैसे उजाले से पहले
गुलाबी हो जाता है आकाश
  
मानसून के पहले
मेघ आते हैं मुआयना करने
टॉर्च जलाते हुए
बूंदों के पहले कोई अंधड़
अस्त-व्यस्त करता है जीवन

सौंधी महक में लिपटी   
याद आती है तुम्हारी
बारिश से ठीक पहले.  
-ब्रजेश कानूनगो 

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (02-05-2016) को "हक़ मांग मजूरा" (चर्चा अंक-2330) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    श्रमिक दिवस की
    शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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