Saturday, March 1, 2014

ज़रूरी नहीं प्यार के लिए तजुर्बा होना.........निधि मेहरोत्रा


ज़रूरी नहीं प्यार के लिए तजुर्बा होना
काफ़ी है ज़िंदगी में बस एक बार होना

मुमकिन नहीं कि कोई हरेक बार सही हो
अबकि जायज़ है तेरा मुझसे ख़फ़ा होना

ठीक हो गया बीमार तेरे दीदार से
यही होता होगा बन्दे का ख़ुदा होना

लबों से उंगली छुआ के तुम पलटो जिसे
अदद ख़्वाहिश है क़िताब का वो सफ़ा होना

मेरे ख़्यालों में तू आज तलक़ कायम है
मेरी तरह तुझे भी न आया जुदा होना

सच अक्सर लोगों को तकलीफ़ देता है
ज़माने में लाजमी झूठ का दवा होना

क़िस्मत में जो लिखा है वो मिलकर रहेगा
इस बार नहीं तो तय अगली मर्तबा होना

कितना भी नाराज़ वो हो जाये मुझसे
एक बोसा औ उसका गुस्सा हवा होना
-निधि मेहरोत्रा 



10 comments:

  1. सच अक्सर लोगों को तकलीफ़ देता है
    ज़माने में लाजमी झूठ का दवा होना

    &

    एक बोसा औ उसका गुस्सा हवा होना .....

    सुंदर
    हार्दिक शुभकामनायें

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  2. बहुत खूबसूरत है हर शे'र.. ढ़ेरों शुभकामनायें शायरा महोदया को.. :-)

    आपका सादर आभार..रचना पढ़वाने हेतु..

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  3. हर इक अशआर.. हर इक शे'र उम्दा
    http://oshowin.blogspot.in

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  4. बहुत खूबसूरत गज़ल....

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  5. jaruri nahi pyar ke liye tazurba hona.....bahut sundar

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  6. बहुत ही खूबसूरत गज़ल है ... उम्दा शेर सभी ...

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  7. शानदार प्रस्तुति. से साक्षात्कार हुआ । मेरे नए पोस्ट
    "सपनों की भी उम्र होती है " (Dreams havel life) पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है।

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