Monday, October 15, 2012

हर दिन की तरह मेरा उदास.......रणजीत भोंसले

'शाम होने को है लाल सूरज
समन्दर में खोने को है ..
हर दिन की तरह मेरा उदास
मन उनकी यादों में रोने को है ..
फिर कुछ बूंद आँसुओं की
समाएगी इस सागर में रोज की तरह ,,
पर मेरे मन का सागर न
खाली होगा इन आँसुओं से कभी .
पानी के साथ आँसू भी
बदल बन उड़ जाते है आसमां में ..
पर अब तक न बरस पाई
उसके आँगन में ना जाने क्यों .
बस ये उम्मीद कि कभी तो
बारिश बन बरसेगें ये आँसू उस पर .
शायद पिघल ही जाये उसका
दिल उन आँसुओं में छिपे दर्द से 


--प्रस्तुति करणःरणजीत भोंसले

16 comments:

  1. पर अब तक न बरस पाई
    उसके आँगन में ना जाने क्यों ....
    ...........................................
    बहुत सुन्दर भाव...

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    1. भाई शुक्रिया
      बाहर गई थी
      परसों ही आई हूँ

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  2. बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही भावनामई रचना.बहुत बधाई आपको

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  3. दीदी
    शुक्रिया
    फिर और शुक्रिया फेसबुक में आगमन के लिये

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  4. Replies
    1. दीदी प्रणाम
      यशवन्त भाई ठीक तो हैं न

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  5. बेहद ह्रदय स्पर्शी रचना !!!

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    1. इन्दु दीदी
      मेरी पसंद को पसंद किया आपने
      शुक्रिया

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  6. बहुत सुन्दर रचना....
    शुक्रिया यशोदा..

    सस्नेह
    अनु

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  7. बहुत सुन्दर रचना दिल को छूती हुई ..........

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  8. सुन्दर रचना | नवरात्रि की शुभकामनायें |

    नई पोस्ट:- हे माँ दुर्गा

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    1. प्रदीप भाई धन्यवाद

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  9. सुंदर भाव लिए खूबसूरत रचना ।

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