आदमी पर गिद्ध मडराने लगे हैं
दुर्दिनो के काफिले आने लगे हैं
देखिये क्या वक्त ने बदले हैं तेवर
जन्म दिन पर मर्सिया गाने लगे हैं
इस निगोड़ी भूख की पराकाष्टा तो देखिये
कल्पनाएँ भूनकर खाने लगे हैं
हादसे जिनको समझ दफना चुके थे
आजकल फिर ज़हन पर छाने लगे हैं
जिनके कंधो पर भरोसा करके बैठे
अब वही संबल कहर ढाने लगे हैं
बांध ले बिस्तर चलें कहीं और हंसा
अब यहाँ पर साये लम्बाने लगे हैं .
---"चरण"
Fremont, CA 94538 कैलिफोर्निया
फोनः 00 1 510-657-7027
दुर्दिनो के काफिले आने लगे हैं
देखिये क्या वक्त ने बदले हैं तेवर
जन्म दिन पर मर्सिया गाने लगे हैं
इस निगोड़ी भूख की पराकाष्टा तो देखिये
कल्पनाएँ भूनकर खाने लगे हैं
हादसे जिनको समझ दफना चुके थे
आजकल फिर ज़हन पर छाने लगे हैं
जिनके कंधो पर भरोसा करके बैठे
अब वही संबल कहर ढाने लगे हैं
बांध ले बिस्तर चलें कहीं और हंसा
अब यहाँ पर साये लम्बाने लगे हैं .
---"चरण"
Fremont, CA 94538 कैलिफोर्निया
फोनः 00 1 510-657-7027
बहुत अच्छा लगा चरण सर को पढ़ कर...
ReplyDeleteशुक्रिया यशोदा जी.
शुभ प्रभात
Deleteशुक्रिया जीजी
इस निगोड़ी भूख की पराकाष्टा तो देखिये
ReplyDeleteकल्पनाएँ भूनकर खाने लगे हैं"
विकलता को बहुत सुन्दर शब्द दियें हैं आपने
पूरी की पूरी ग़ज़ल खूबसूरत है
शुक्रिया ब्लाग दर्शन हेतु
Deleteधन्यवाद अंजनी भाई
haunsle jab tak sath hain , ye gidh upar hi mandrate rahenge,
ReplyDeletenazar koi kitni bhi laga de, khushiyan manate rahenge.
शुक्रिया
ReplyDeleteआपको और आपकी पूरी टीम को