Wednesday, July 31, 2013

सावन मेरे................'वीर'


लौटे नहीं हैं परदेस से साजन मेरे,
तुम थोड़ी जल्दी ही आ गए सावन मेरे|

अब आये हो तो दर पर ही रुकना,
पांव ना  रखना तुम आँगन मेरे|
तुम थोड़ी जल्दी ही आ गए सावन मेरे…

तेरी ये गड़गड़ाहट, तेरी ये अंगडडाईयां,
इनसे मुख्तलिफ नहीं हैं मेरी तन्हाईयां,
चाहे तो बहा ले कुछ आंसूं दामन मेरे|
तुम थोड़ी जल्दी ही आ गए सावन मेरे…

तेरी बूंदों से मेरी तिश्नगी ना मिटेगी,
तेरी कोशिशों से ये आग और बढ़ेगी|
तुझसे ना संभलेंगे तन मन मेरे|
तुम थोड़ी जल्दी ही आ गए सावन मेरे…

--'वीर' 
श्री वीरेंद्र शिवहरे 'वीर' की एक काफी पुरानी रचना

Tuesday, July 30, 2013

भूल गया रोने के लिए अलग एक कमरा रखना..........निधि मेहरोत्रा


यूँ दिल चाहे कितनी ही तकलीफ़ों से भरा रखना
अपनों के आगे लबों पर हँसी का क़तरा रखना

आसान नहीं है यह दिल की अदला बदली दोस्त
तुमसे अरज यही है ख़्याल इस दिल का ज़रा रखना

कितने ही मौसम आये जाएँ हमारे दरमियां
उम्मीदों का शज़र मेरी जां तुम हरा भरा रखना

कोई मसला हो, किसी की कैसी भी बात क्यूँ न हो
पूछे जो कोई तुमसे कुछ तो राय को खरा रखना

मशहूर होकर अक्सर तनहा हो जाते हैं लोग
बुलंदी पर पहुँच आसपास अपनों का दायरा रखना

कम वक़्त में बहुत ज़्यादा पाने की ख़्वाहिश हो जिसे
लाजमी उस शख्स के लिए अपना ज़मीर मरा रखना

जिन ज़ख्मों की बदौलत ज़िन्दगी जीना आ जाता है
उन घावों को तुम अश्कों से हमेशा हरा रखना

कई आलिशान मकां बनाए इस ज़िन्दगी में मैंने
भूल गया रोने के लिए अलग एक कमरा रखना


-निधि मेहरोत्रा

Monday, July 29, 2013

तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ............अरुन शर्मा 'अनन्त'

 
जिसे अपना बनाए जा रहा हूँ,
उसी से चोट दिल पे खा रहा हूँ,

यकीं मुझपे करेगी या नहीं वो,
अभी मैं आजमाया जा रहा हूँ,

मुहब्बत में जखम तो लाजमी है,
दिवाने दिल को ये समझा रहा हूँ,

अकेला रात की बाँहों में छुपकर,
निगाहों की नमी छलका रहा हूँ,

जुदाई की घडी में आज कल मैं,
तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ..

--अरुन शर्मा 'अनन्त'



ओपन बुक्स ऑनलाईन के 
लाइव तरही मुशायरा अंक - ३७ वें में प्रस्तुत "अरुन शर्मा 'अनन्त'" की ग़ज़ल
(बह्र: बहरे हज़ज़ मुसद्दस महजूफ)

Sunday, July 28, 2013

क्या सोच रहे हो..कटोरा उठाओ और चल पड़ो...विशाल दास

क्या आप एक भिखारी से बेहतर हैं.......

नामः मस्सू उर्फ मालना, उम्र 60 वर्ष
मस्सू की जायदाद
अकेले की 30 लाख की जायदाद
प्रतिदिन की आय 1,000 से 1,500


भीख माँगने का ठीहा:
लोखण्डावाला.
मुख्यतः ऊँची दर वाले हॉटल के सामने
इस ह़ॉटल में मुख्यतः टीवी और फिल्म कलाकार आते हैं

काम का समय:
सायं 8 से 3 वजे सुबह तक

स्वयं का मकान: 
अंधेरी वेस्ट आम्बोली में खुद का एक एक बी.एच.के मकान
और नजदीक में ही एक और एक बी.एच.के मकान का मालिक है
 
आम्बोली में मस्सू काएक बी.एच.के मकान. दोनो मकान 
परिवार: पत्नी व दो लड़के और बहू साथ मे रहते हैं
प्रतिदिन आय:
रु.1000 से 1500.

:जायदाद: 
30 रु की जायदाद. एक लड़का झाड़ू बनाकर धूम-धूम कर अंधेरी स्टेशन के आस-पास बिक्री करता है और वह इससे अतिरिक्त आय प्राप्त करता है, एसका पूर्ण विवरण अप्राप्त है.
:रोज की दिनचर्या:  
मस्सू रोज शाम को दाग रहित चमकते कपड़ों में ऑचो में बैठकर लोखण्डावाला पहुँचता है, और अपने काम करने के कपड़े एड लैब के पास बदलता है, वह उस कपड़ों को काम के समय तक पहने रहता है..उसने अपने भीख माँगने के एरिया का पूर्ण निरीक्षण कर रखा है....पूरे क्षेत्र में उसके अलावा कोई और भिखारी नहीं फटकता..वह अपने घर के रास्ते में आगे चल कर ऑटो पर सवार होकर वापस घर पहुँचता है.... अपने कपड़े वह यशराज स्टूडियो के पास बदलता है. 
 
नामः कृष्ण कुमाल गीते, 42
कृष्ण की जायदाद
5 लाख रु. की जायदाद

प्रतिदिन की आय रु. 1,500 से 2,000 
 

 
भीख माँगने का ठीहा: सी सी टैंक, चर्नी रोड
काम का समय: 
अल सुबह से देर शाम तक
 स्वयं का मकान: 
नोल्लसोपारा में खुद का एक एक बी.एच.के मकान
खुद का एक एक बी.एच.के अपार्टमेन्ट नाल्लासोपारा में जिसमें वह अपने भाई के साथ रहता है
परिवार में भाई और भाई की पत्नी बच्चे सहित
 
नामः भरत जैन, उम्र 45
भरत की जायदादः लगभग 70 लाख की जायदाज उसकी खुद की है
प्रतिदिन आयः 2000 रुपये से 2500 रुपये तक


 
भीख माँगने की जगहः छत्रपति टर्मिनल्स और आजाद मैदान
काम का समयः अल सुबह से देर रात तक

भरत जैन की प्रापर्टी परेल मे दो एक बी.एच.के अपार्टमेन्ट, वहाँ उसके भाई का परिवार रहता है, 

और स्वयं भरत हफ्ते मे एक बार अपने घर जाता है..
उसके परिवार का अलग व्यवसाय है वे लोग स्कूली कॉपी किताबों की दुकान लगा रखे है 

 
भरत जैन का परेल स्थित मकान जिसमें वह खुद रहता है 
व सामने का हिस्सा जूस सेन्टर को किराये पर दे रखा है 
उसके परिवार में पत्नी व दो बच्चें हैं जो क्रमशः दसवीं और बारहवीं मे पढ़ते हैं

 
नामः हाज़ी, उम्र 26
हाज़ी की जायदादः लगभग 15 लाख की जायदाज उसकी खुद की है

प्रतिदिन आयः 1000 रुपये से 2000 रुपये तक


 
भीख माँगने की जगहः देवनार और चेम्बूर
अधिकतर मंदिर और मस्जिद के आसपासकाम का समयः आराम से... मंदिर व मस्जिद के समयानुसार
स्वयं का मकान: और मकान में उसकी माँ और ज़री गोटा का काम फैला रखा है और 15 लोगों को रोजगार भी दे रहा है 
परिवार में उसकी माँ और बहन है

           
----------------<(
पर्याय  )>-----------------


Name: Doesn't matter , A Software Engineer 

S/W
Engineer 's Assets: Rented (shared by friends also) house 

Day's earning: for fresher less than 1000 

Works @ : Doesn't Matter .

Working Hours: Day and Night

Family: as normal one has

His worth: Kuchh bhi nahi
 
क्या सोच रहे हो..कटोरा उठाओ और चल पड़ो ... !!! ;o) 

 प्रस्तुतिकरणः विशाल दासsonuvishal@hotmail.com 

महफिल में तेरी तुझसे ही लड़ूँगा.....................दिव्येन्द्र कुमार 'रसिक' .


आज मैं अपनी हर बात पे अड़ूँगा,
महफिल में तेरी तुझसे ही लड़ूँगा,

जमाने गुजारे हैं मैने बन्दगी में तेरी,
शान में तेरी न अब कशीदे पढ़ूँगा,

बेदाग समझता है तेरे हुस्न को जमाना,
दोष मेरे सारे अब तेरे सर ही मढ़ूँगा,

जमीं के सफर में ठोकर जो दी है तूने,
साथ मैं तेरे अब न चाँद पे चढ़ूँगा,

थी मेरी तक़दीर पे तेरी ही हुकूमत,
अब आज तेरी किस्मत मैं ही गढ़ूँगा

----- दिव्येन्द्र कुमार 'रसिक'


http://yashoda4.blogspot.in/2012/02/blog-post_15.html

Saturday, July 27, 2013

न सुनती है न कहना चाहती है............मंजूर हाशमी



न सुनती है न कहना चाहती है
हवा इक़ राज़ रहना चाहती है

न जाने क्या समाई है कि अब की
नदी हर सम्त बहना चाहती है

सुलगती राह भी वहशत ने चुन ली
सफ़र भी पा बरहना चाहती है

तअल्लुक़ की अजब दीवानगी है
अब उस के दुख भी सहना चाहती है

उजाले की दुआओं की चमक भी
चराग़-ए शब में रहना चाहती है

भँवर में आँधियों में बादबाँ में
हवा मसरुफ़ रहना चाहती है

-मंजूर हाशमी

सौजन्यःअशोक खाचर

Friday, July 26, 2013

सिर्फ़ फूल हों तेरी राह में है मेरी बस दुआ.........रिकी मेहरा



जिन्हें याद करते हैं हम बस यूँ ही सदा
उन्हें मेरी भी चाहत हो ज़रूरी तो नहीं

फ़लसफ़ा मेरी मोहब्बत का मशहूर हो जहाँ
उस महफ़िल में मेरा नाम आए ज़रूरी तो नहीं

सिर्फ़ फूल हों तेरी राह में है मेरी बस दुआ
एक सी हम दोनों की फ़रियाद हो ज़रूरी तो नहीं

तमन्ना दिल में मेरे कई ख़्वाब जगा देती है
मगर किस्मत भी साथ मेरे दे ज़रूरी तो नहीं

मुस्कुरा के भी होते हैं बयाँ हाल इस दिल के
मुझ को रोने की भी आदत हो ज़रूरी तो नहीं

---रिकी मेहरा



ब्लाग "धरोहर" से
http://yashoda4.blogspot.in/2012/03/blog-post_31.html