Wednesday, September 30, 2020

भीगना है बहुत जरूरी तब



बाद   मुद्दत    करार   आ   जाये ।
गर   तू  आये   बहार  आ   जाये ।।

भीगना   है   बहुत   जरूरी   तब ।
जब समुंदर  में  ज्वार  आ  जाये ।।

ऐ क़मर है सभी की ये ख़्वाहिश ।
उनके हिस्से  का प्यार आ  जाये ।।

इश्क़  के   मुन्तज़िर  हैं   दीवाने ।
बस  तेरा   इश्तिहार  आ  जाये ।।

बात दिल की तभी बयां  करना ।
आखों  में  जब ख़ुमार आ जाये ।।

तेरी हरक़त से एक दिन न कहीं ।
दोस्ती   में    दरार   आ   जाये ।।

पार   करना  तभी  मुनासिब  है ।
जब  नदी  में  उतार  आ  जाये ।।

मेरे  क़ातिल  तुम्हारे  ख़ंजर   में ।
इक  नई  तेज   धार  आ  जाये ।।

लीजिये  बस  दवा  सनम  से ही ।
इश्क़  का  जब  बुखार आ जाये ।।

-नवीन मणि त्रिपाठी

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 02 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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