Thursday, June 25, 2020

टूटे थे हम बिखरे नहीं .......अनामिका

टूटे थे हम बिखरे नहीं

एक तेरी खुशी के ख़ातिर हम
नंगे पैर, दौड़ चले आते थे ।
एक तू है, जिसे हमारे आने की,
सुना है घंटों ख़बर नहीं मिलती ।

किसी जमाने में हम,
तुम्हारी दुनिया हुआ करते थे
आज हमारे हाल ए जिगर के,
अन्दाजे तुम्हें नहीं ।

हम तो ये सोचते थे,
जिंदगी में तुम नहीं तो कुछ नहीं ।
ताज्जुब तब हुआ , बिना बताए,
जब जिंदगी से तुम नदारद हुए।

सुनो तुम, टूटे थे हम बिखरे नहीं
जिंदगी में एक तेरा गम ही नहीं,
और भी कुछ जरुरी काम है,
छोड़ दिया पीछे तुम्हारा नाम है
-अनामिका

7 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 25 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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