Monday, February 10, 2020

पदचाप ...श्वेता सिन्हा

सरल अनुभूति के जटिल अर्थ,
भाव खदबदाहट, झुलसाते भाप।
जग के मायावी वीथियों में गूँजित
चीन्हे-अनचीन्हे असंख्य पदचाप

तम की गहनता पर खिलखिलाते,
तप तारों का,भोर के लिए मंत्रजाप।
मूक परिवर्तन अविराम क्षण प्रतिक्षण, 
गतिमान काल का निस्पृह पदचाप

ज्ञान-अज्ञान,जड़-चेतन के गूढ़ प्रश्न,
ब्रह्मांड में स्पंदित नैसर्गिक आलाप।
निर्माण के संग विनाश का शाप,
जीवन लाती है मृत्यु की पदचाप।

सृष्टि के कण-कण की चित्रकारी,
धरा-प्रकृति , ब्रह्म जीव की छाप।
हे कवि!तुम प्रतीक हो उजास की,
लिखो निराशा में आशा की पदचाप।
-श्वेता

7 comments:

  1. बहुत ही सार्थक और सुंदर सृजन पदचाप सिर्फ पांवों की कंहा होती है होती है हर शै में हर कलाप में बस दिखती अररिया की प्रतिक्रिया में ।
    आपने पदचाप पर बहुत ही विस्तृत दृष्टिकोण अंकित किया है श्वेता सुंदर अभिनव रचना।

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    1. अररिया को क्रिया पढ़ें।

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  2. वाह!!श्वेता ,पदचाप का कितना सुंदर विश्लेषण !!👍अद्भुत !!

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  3. ज्ञान-अज्ञान,जड़-चेतन के गूढ़ प्रश्न,
    ब्रह्मांड में स्पंदित नैसर्गिक आलाप।
    निर्माण के संग विनाश का शाप,
    जीवन लाती है मृत्यु की पदचाप

    गहरी चिंतन ,बहुत ही सुंदर सृजन श्वेता जी

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  4. प्रिय श्वेता, गहन चिंतन मनन के बिना,माँ शारदे के विशेष आशीष के बिना ऐसी अद्भुत रचना का सृजन संभव नहीं।
    "जग के मायावी वीथियों में गूँजित
    चीन्हे-अनचीन्हे असंख्य पदचाप"
    गज़ब की पंक्तियाँ !

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  5. हे कवि!तुम प्रतीक हो उजास की,
    लिखो निराशा में आशा की पदचाप।
    वाह!!!!
    आशा की पदचाप
    बहुत ही लाजवाब सृजन हमेशा की तरह....

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