तेरी महफिल में आना चाहता हूं।
गजल तुझको सुनाना चाहता हूं।।
मोहब्बत की कहानी इस शहर में।
सनम सबको बताना चाहता हूं।।
कभी रोकर कभी सबको रूलाकर।
कभी हँसकर हँसाना चाहता हूं।।
जमाना चाहे मुझको या न चाहे।
तुझे मैं आजमाना चाहता हूं।।
मुझे मेरी मुहब्बत की कसम है।
तुझे अपना बनाना चाहता हूं।।
तेरे दिल में ठहर कर अपने लिये।
मुहब्बत फिर जगाना चाहता हूं।।
तेरी ही आरजू में जानेजां मैं।
ये दुनिया भूल जाना चाहता हूं।।
-प्रीती श्रीवास्तव
बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत लाजवाब।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27.02.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3624 में दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सुन्दर प्रस्तुति
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