Sunday, February 2, 2020

कोई यहॉ हिन्दु कोई मुसलमान रह गया....अमित चंद्रा


दिल में तेरी यादों का तूफान रह गया 
बस्तियॉ लुट गई सारी खाली मकान रह गया। 


जुल्म और नफरत से भर गई 

दुनिया इन्सान अब कहॉ इन्सान रह गया। 



ताउम्र ख्वाहिशों को ही जीता रहा मगर 

दिल में बाकी फिर भी कुछ अरमान रह गया।

इन्सान अब रहा नहीं तेरी दुनिया में ऐ खुदा 
कोई यहॉ हिन्दु कोई मुसलमान रह गया।




3 comments:

  1. वाह।
    इब्राहिम जौक का शेर याद आया है कि-

    तुम ने ठहराई अगर ग़ैर के घर जाने की
    तो इरादे यहाँ कुछ और ठहर जाएँगे

    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र 

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  2. इन्सान अब रहा नहीं तेरी दुनिया में ऐ खुदा
    कोई यहॉ हिन्दु कोई मुसलमान रह गया।

    कहते चलें।

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