Tuesday, January 7, 2020

देश सबका है....संजय भास्कर

 ( चित्र गूगल से साभार  )

बीज बो गए विषमता के 
आज यहाँ सापों की खेती उग आई है
क्यारी को फिर से सँवारो
बीज नए डालो प्यार के हमदर्दी के,
मेड़ें मत बाँधो
लकीर मत बनाओ अपनों के 
बीच में 
मत करो देशका विभाजन 
जातिवाद और धरम के नाम पर 
क्योकि धरती सबकी है 
देश सबका है !!

- संजय भास्कर   

4 comments:

  1. बहुत ही सार्थक पंक्तियाँ प्रिय संजय, यही है हर उस व्यक्ति के मन की आवाज़ जो अपनी जड़ों और अपने लोगों से प्यार करता है। हार्दिक शुभकामनायें और बधाई ।

    ReplyDelete
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 07 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. क्यारी को फिर से सँवारो
    बीज नए डालो प्यार के हमदर्दी के

    सुंदर भाव जो सभी के अंतर्मन में हो तो धरती स्वर्ग हो ,ये कामना तो कर ही सकते हैं ,ढेरों शुभकामनाएं आपको नए साल की

    ReplyDelete