एक पन्ना खुल गया कोरा
हमारे प्यार का
सुबह,
इस पर कहीं अपना नाम तो लिख दो!
बहुत से मनहूस पन्नों में
इसे भी कहीँ रख दूंगा
और जब-जब हवा आकर
उड़ा जायेगी अचानक बन्द पन्नों को
कहीं भीतर
मोरपंखी का तरह रक्खे हुए उस नाम को
-केदार नाथ सिंह
मूल रचना
मूल रचना
बहुत सुन्दर वाह।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ.
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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